Saturday, September 24, 2011

वो हमारे ज़ख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं /एहसान जाफरी के पुत्र तनवीर जाफरी का इंटरव्यू


उर्दू दैनिक सहारा(२३/९/११) 
वो हमारे ज़ख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं 
पूर्व सांसद एहसान जाफरी के तनवीर जाफरी अपनी बूढी और मजलूम माँ के साथ अपने पिता और ६९ व्यक्तियों की हत्या के दोषियों को उनके अंजाम तक पहुँचाने और न्याय पाने के लिए प्रयत्न शील हैं-तनवीर जाफरी आर एस एस और उसके सहयोगी संगठनों द्वारा नरेन्द्र मोदी की छवि सुधारने की कोशिश पर सहारा संवाददाता के साथ बात चीत कर रहे हैं-

नरेन्द्र मोदी के सदभावना उपवास पर आपकी क्या राय है?
वो मेरी माँ ज़किया जाफरी की विशेष याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के हाल में दिए निर्णय को अपनी जीत बता कर ये साबित कर रहे थे कि उनको सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी है , वो अपने उपवास के द्वारा अपनी जीत का जशन मना रहे हैं -वो राज्य के मुख्य मंत्री हैं जो चाहे करें वो मालिक हैं राज्य के-लेकिन उनका ये सोचना बिलकुल ग़लत है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें क्लीन चिट दी है-
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से उन्हें राहत नहीं मिली है ?
नहीं ऐसा नहीं है - वास्तव में वो और उनकी पार्टी दंगा पीड़ितों के ज़ख्मों पर नमक छिड़क रहे हैं-सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हमारे लिए राहत है-ये हम ने अदालत से अपील की थी क़ि वह सामूहिक हत्या कांड में मोदी क़ि भूमिका की जाँच करे -इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर निर्णय करने का अधिकार स्थानीय अदालत को दे दिया है-सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा है कि इस मामले में आगे जाँच या सुनवाई की आवश्यकता नहीं है और नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट तो दी ही नहीं है-
 सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण का और पर्यवेक्षण करने से इंकार किया है?
मगर सुप्रीम कोर्ट ने एस आई टी से कहा है कि वह अपनी रिपोर्ट अहमदाबाद की अदालत में प्रस्तुत करे-अब गुलबर्ग सोसाइटी केस की सुनवाई अहमदाबाद की स्थानीय अदालत में होगी-
अगर वह अपनी कथनी और करनी पर ग्लानि प्रकट करते हैं तो?
तीन दिनों के उपवास में उन्हों ने जो भाषा और बोडी लैन्गुऐज इस्तेमाल की है उस से किसी तरह नहीं लगता कि उन्हें अपने किये पर कोई ग्लानि है -वास्तव में आर एस एस अपनी एक खुली रण निति के द्वारा और मीडिया के एक सेक्शन के द्वारा ये वातावरण बना रहा है कि आज नहीं तो कल वह माफ़ी मांग कर जिम्मेदारियों से अपना पल्ला झाड़ लें गे-

अगर वह माफ़ी मांगते हैं तो क्या गुजरात के मुस्लमान उन्हें माफ़ कर दें गे?
२००२ के मुसलमानों के क़त्ल ए आम पर उनको ज़रा भी अफ़सोस नहीं है-ये किस तरह कहा जाता है कि उन्हें ग्लानि है और वह माफ़ी मांग लें गे-यह संभव नहीं कि गुलबर्ग सोसयटी में ६९ जिंदा जला दिए जाएं और उन्हें इसकी सूचना न हो-इसके अलावा सोहराबुद्दीन एनकाउन्टर,हीरेन पांडिया मर्डर,इशरत जहाँ सादिक जमाल एनकाउन्टर केस -किस किस हत्या किस किस क़त्ल ए आम और किस किस फर्जी एनकाउन्टर से पल्ला झाड़ें गे नरेन्द्रे मोदी?
आपकी नज़र में इस उपवास का उद्देश्य ग्लानि प्रकट करना है या प्रधान मंत्री बनने की इच्छा प्रकट करना?
गुजरात में किसी पीड़ित को न्याय नहीं मिला-बिलकीस बानो को उस वक़्त इन्साफ मिल सका जब केस गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर हुआ-बेस्ट बेकरी घटना का मुक़दमा राज्य से बाहर चला-गुजरात में हर ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ अधिकारी को परेशान किया जा रहा है, हर भ्रष्ट और ज़ालिम अधिकारी को नवाज़ा जा रहा है-उनके किसी कथन से या व्यवहार से प्रकट होता है की नरेन्द्र मोदी को ग्लानि है?उनके प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेई  उन्हें राज धर्म की शिक्षा दे चुके हैं मगर अभी तक उन्हों ने इस शिक्षा पर अमल नहीं किया है-यह सब कुछ राजनैतिक ढोंग के अलावा कुछ नहीं है-

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