लगभग एक माह पहले जब लीबिया में कर्नल मुअम्मर गद्दाफी और विरोधियों के बीच घमासान लड़ाई चल रही थी, भारत के एक हिंदी समाचार पत्र ने एक खबर पर ये हेड लाइन लगाईं थी-"सद्दाम की मौत मारा जाएगा गद्दाफी"-ये हेड लाइन मुस्लिम शत्रुता से ग्रसित उस घिनौनी मानसिकता को प्रकट करती है जो हमारे हिदी प्रेस और टी वी चैनलों की पहचान बन चुकी है-
कर्नल मुअम्मर गद्दाफी तानाशाह थे ,राष्ट्रअध्यक्ष थे,या जनप्रिय नेता थे ये एक अलग बहस हो सकती है, लेकिन किसी भी देश के शासक के लिए इतनी गन्दी और विकृत भाषा जो आज हिंदी अख़बार और भारतीय टी वी चैनल प्रयोग कर रहे हैं अत्यंत दुखद और निंदनीय है-ये बात समझ से परे है कि किसी ऐसे देश का गृह युद्ध जो भारत का न मित्र रहा हो न शत्रु उसके किसी नेता या शासक के बारे में अपशब्द कहना या ऐसी भाषा का प्रयोग करना जो अपराधियों के लिए इस्तेमाल की जाती है ,कहाँ तक उचित है-
अगर हम हिंदी अख़बारों की हेड लाइंस देखें या समाचार चैनलों की भाषा सुनें तो हर जगह मारा गया, छुप गया,खदेड़ा गया, जीवन की भीख मांगने लगा जैसे शब्दों का प्रयोग नज़र आता है- आखिर कर्नल मुअम्मर गद्दाफी से भारत या इन निरंकुश अखबारों और चैनलों की क्या शत्रुता थी, या उन्हों ने आप के खिलाफ क्या अभियान चलाया था कि आप अमरीका और यूरोपी देशों की चाटुकारिता के लिए इस भाषा शैली का इस्तेमाल कर रहे हैं-कारण बिलकुल स्पष्ट है आपको हर मुस्लिम नाम के साथ कुत्सित भाषा इस्तेमाल करनी है चाहे उसके साथ आपका दूर का भी कोई सम्बन्ध न रहा हो-
अगर आप इसी खबर को उर्दू अख़बारों में पढेंगे तो वहां न सिर्फ सभ्य भाषा का इस्तेमाल मिलेगा बल्कि उक्त घटना के बारे में समर्थकों , विरोधियों और निरपेक्ष देशों तथा व्यक्तियों के विचार भी पढने को मिलेंगे-और यही मीडिया की आचार संघिता (media ethics ) भी है की वह किसी खबर में खुद पक्षकार न प्रतीत हो-
हम अपने समस्त देशवासियों का ध्यान मीडिया की इस विकृत मानसिकता की ओर दिला कर ऐसे सभी अख़बारों और चैनलों की निंदा करते हैं जो हर खबर को हिन्दू मुलिस्म चश्मा लगा कर देखती है.
कर्नल मुअम्मर गद्दाफी की मौत के सम्बन्ध में रोजनाम सहारा उर्दू की खबर की कटिंग नीचे प्रस्तुत है जिस से बखूबी अंदाज़ा होता है की उर्दू प्रेस आम तौर से इस घटना को किस रूप में देखता है-
गद्दाफी की मौत पर इस्लामी दुनिया सकते में ,एमनेस्टी जाँच की मांग/लाश की बेहुरमती से अरब दुनिया में ग़ुस्सा/अफ्रीकी मीडिया ने म्रत्यु को हत्या कहा